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कुछ लम्हे भागादौड़ी से निकाल कुछ लम्हे भागादौड़ी से निकाल
खुद को खुद के लिए सम्हालधूप छाव का ये खेला कब रुकने वाला
सुकून के इन पलो को न कर बेहालकुछ लम्हे भागादौड़ी से निकाल गीत ग़ज़ल राग ये सब है कुछ ख्याल
सावन भादो जेठ आसाढ़ है खुशहाल
तोड़े कब टूटे है बंधन किसी से किसी के
खोने पाने का किस्सा हरदम हरहाल
कुछ लम्हे भागादौड़ी से निकाल
कर्म के फेरे है चहुँओर लगे फिलहाल
अभी यही है जीवन करना है कमाल
सुख शांति का सच्चा संघर्ष और क्या
बस दिन व दिन मत कर कोई मलाल
कुछ लम्हे भागादौड़ी से निकाल
दीपेश कुमार जैन
1/5/2019