कसक जिंदगी की बाकी है अभी महक की मानिंद बाकी है अभी वो ढूंढता रहा जो मुझे गलियों में उसकी निगाहों में पानी बाकी है अभी कसक जिंदगी की बाकी है अभी
तलब निगाहों की कम नही होगी अभी
पर्वतों में झरनों की रुमानियत बाकी है अभी
कोई जाकर कह दे ये भी उन्हें
ज़िन्दगी के मजीरों में साज बाकी
अभी कसक जिंदगी की बाकी है अभी ....
जुबा पे हस्व कपकपाहट बाकी है अभी
खेल के पड़ाव का एक हिस्सा बाकी है अभी
जिरह की वजह को पा नही सकते कभी
कोई कह दे उनसे अंत का अनंत होना बाकी है अभी कसक जिंदगी की बाकी है अभी ..
..
दीपेश कुमार जैन
26/4/19
तलब निगाहों की कम नही होगी अभी
पर्वतों में झरनों की रुमानियत बाकी है अभी
कोई जाकर कह दे ये भी उन्हें
ज़िन्दगी के मजीरों में साज बाकी
अभी कसक जिंदगी की बाकी है अभी ....
जुबा पे हस्व कपकपाहट बाकी है अभी
खेल के पड़ाव का एक हिस्सा बाकी है अभी
जिरह की वजह को पा नही सकते कभी
कोई कह दे उनसे अंत का अनंत होना बाकी है अभी कसक जिंदगी की बाकी है अभी ..
..
दीपेश कुमार जैन
26/4/19