Friday, April 26, 2019

 कसक जिंदगी की  बाकी  है    अभी   महक     की  मानिंद बाकी   है अभी   वो ढूंढता रहा   जो    मुझे गलियों में   उसकी निगाहों में पानी बाकी है अभी          कसक जिंदगी की बाकी है अभी
तलब निगाहों की कम नही होगी अभी
पर्वतों में झरनों की रुमानियत बाकी है अभी
कोई जाकर कह   दे ये भी    उन्हें
ज़िन्दगी के मजीरों में साज बाकी
अभी                                     कसक जिंदगी की बाकी है अभी  ....
जुबा पे हस्व कपकपाहट बाकी है अभी
खेल  के पड़ाव का एक हिस्सा बाकी है अभी
जिरह की वजह को पा नही सकते कभी
कोई कह दे उनसे अंत का अनंत होना बाकी है अभी                          कसक जिंदगी की बाकी है  अभी  ..
..                       
दीपेश कुमार जैन
26/4/19

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