कविता 56 चलो खुश होकर जिया जाए
छोटी सी जिंदगी यू ही गुज़र जाए
चलो दोस्तो खुश होकर जिया जाए
चलो खुश होकर जिया जाए
कहानियों के पन्ने भी धुंधले हुए
चश्मे के नंबर भी उझले हुए
पानी के रंग झिलमिलाते रहे मगर
जो पराये थे अब वो भी अपने हुए
चलो खुश होकर जिया जाए
शिकवा शिकायते होती है खत्म कब
नएअंदाज़ हो तो नवनीत हो तुमअब
किस किस को अपना मूल्य बताओगे
समय है,होगा वो ही जो होना हो जब
चलो खुश होकर जिया जाए
क्या लाये थे सफ़र में जो होगा अपना
मिलना तो वो ही लिखा होगा जितना
ख्वाइशों का जंजाल है सफर जिंदगी
हँसते रहो हिसाब देना है हँसे कितना
चलो खुश होकर जिया जाए
दीपेश कुमार जैन
छोटी सी जिंदगी यू ही गुज़र जाए
चलो दोस्तो खुश होकर जिया जाए
चलो खुश होकर जिया जाए
कहानियों के पन्ने भी धुंधले हुए
चश्मे के नंबर भी उझले हुए
पानी के रंग झिलमिलाते रहे मगर
जो पराये थे अब वो भी अपने हुए
चलो खुश होकर जिया जाए
शिकवा शिकायते होती है खत्म कब
नएअंदाज़ हो तो नवनीत हो तुमअब
किस किस को अपना मूल्य बताओगे
समय है,होगा वो ही जो होना हो जब
चलो खुश होकर जिया जाए
क्या लाये थे सफ़र में जो होगा अपना
मिलना तो वो ही लिखा होगा जितना
ख्वाइशों का जंजाल है सफर जिंदगी
हँसते रहो हिसाब देना है हँसे कितना
चलो खुश होकर जिया जाए
दीपेश कुमार जैन
Bahut sundar
ReplyDelete