Wednesday, July 29, 2020

वाच्य क्लास १० प्रकार एवं खूब अभ्यास

वाच्य (Vachya)

वाच्य से यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता , कर्म और भाव में से किसकी प्रधानता है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष कर्ता , कर्म या भाव में से किसके अनुसार है।

वाच्य की परिभाषा(vachya ki pribhasha)

वाच्य क्रिया के उस रूपान्तर को कहते हैं, जिससे कर्ता , कर्म और भाव के अनुसार क्रिया के परिवर्तन ज्ञात होते हैं।कर्तृ वाच्य (Kritya Vachya)

जहाँ क्रिया का संबंध सीधा कर्ता से हो तथा क्रिया का लिंग तथा वचन कर्ता के अनुसार ही उसे कर्तृ वाच्य कहते हैं।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘रेखा’ और ‘मोहन’ कर्ता हैं, इनके द्वारा की गई क्रियाएँ’ ‘पढ़ाती हैं’ और ‘खाता हैं’ कर्ता के लिंग और वचन के अनुरूप ही हैं। अतः ये ‘कर्तृवाच्य’ हैं।

कर्मवाच्य (Karm Vachya)

जहाँ क्रिया का संबंध सीधा कर्म से हो तथा क्रिया का लिंग तथा वचन कर्म के अनुसार हो, उसे कर्म वाच्य कहते हैं।
जैसे→
1. सीता ने दूध पीया।
2. सीता ने पत्र लिखा।
→ पहले वाक्य में ‘पीया’ क्रिया का एकवचन, ‘पुल्लिंग’ रूप ‘दूध’ कर्म के अनुसार आया है।
→ दूसरे वाक्य में ‘लिखा’ क्रिया का एकवचन, ‘पुल्लिंग’ रूप ‘पत्र’ कर्म के अनुसार आया है।
विशेष → कर्मवाच्य सदैव सकर्मक क्रिया का ही होता है।RBSE Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

भाववाच्य (Bhav Vachya)

जहाँ कर्ता और कर्म की नहीं बल्कि भाव की प्रधानता हो, उस वाक्य को भाव वाच्य कहते हैं।
जैसे→
1. नानी जी से चला नहीं जाता।
2. मरीज़ से उठा नहीं जाता।
विशेष → 1. भाववाच्य का प्रयोग विवशता, असमर्थता व्यक्त करने के लिए होता है।
2. भाववाच्य में प्रायः अकर्मक क्रिया होता है।
3. भाववाच्य में क्रिया सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन मेंRBSE Class 10 Hindi व्याकरण वाच्यCBSE Class 10 Hindi A व्याकरण वाच्य - Learn CBSEGyanPub

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