सर है आप असरदार
दिल के सच्चे
कहते है बच्चे बच्चे
सरस्वती का है वास
सबको है विस्वास
सर है आप असरदार
आत्मविस्वास की तस्वीर
न जाने बना दी कितनो तक़दीर
मधु र इतने जैसे संगीत
सुगम ऐसे जैसे सबके मीत
सर असरदार है आप
प्रगति की मूरत
भोली सी सूरत
सयंम के पक्के
सकारात्मक के लिबास है
सर आप है असरदार
कर्म के खुदार् दिल के उदार
दिल के मयखाने के दिलदार है
अब क्या कहू सच तो ये की
आप सरदारो के सरदार है
सर आप असरदार है
(बड़ेभाई श्री संजय मिश्र जी के लिए ये
सबद है समर्पित)
दीपेश कुमार जैन
स्वरचित कविताओं/विचारो/लेखों/ज्ञानवर्धक संग्रह/कहानियां **न त्वहं कामये राज्यं न स्वर्गं नापुनर्भवम् ।* *कामये दुःखतप्तानां प्रणिनां आर्तिनाशनम् ॥*
Saturday, September 15, 2018
मेरी कविता 28
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