Saturday, September 15, 2018

मेरी कविता 28

सर है आप असरदार
दिल के सच्चे
कहते है बच्चे बच्चे
सरस्वती का है वास
सबको है विस्वास
सर है आप असरदार
आत्मविस्वास की तस्वीर
न जाने बना दी कितनो तक़दीर
मधु र इतने जैसे संगीत
सुगम ऐसे जैसे सबके मीत
सर असरदार है आप
प्रगति की मूरत
भोली सी सूरत
सयंम के पक्के
सकारात्मक के लिबास है
सर आप है असरदार
कर्म के खुदार् दिल के उदार
दिल के मयखाने के दिलदार है
अब क्या कहू सच तो ये की
आप सरदारो के सरदार है
सर आप असरदार है
(बड़ेभाई श्री संजय मिश्र जी के लिए ये
सबद है समर्पित)
दीपेश कुमार जैन

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