Friday, September 14, 2018

मेरी कविता 6 एक ख्याल

।। एक ख्याल ।।
रात को सुबह का हर रोज दखल
होगा ।
तुझे मेरे बिछड़ने का मलाल
होगा ।।
आसमाँ में उड़ता रहा यू ही ता उम्र ,
दो गज जमी को तेरा बेसब्री से
इंतज़ार होगा ।
सिर्फ कायनात ही नही दिल भी रोता
होगा ,
कुछ बुजर्गो की दुनिया से रिहाई का ख्याल
होगा
अंजाम ये मोहब्बत सोचकर सहम गया मजनू भी
दुनिया के दामन मे भी जख्मो का जमाव होगा
              दीपेश कुमार जैन
                

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