Friday, September 14, 2018

बातें

मजहब का कैसा नाच है चलता
कोई नही सिर्फ मासूमो को छलता
सफाईया देते है लोग ऐसे रंगीन पटल पे
गलती किसकी है पता ही नही चलता
                                   दीपेश जैन

No comments:

Post a Comment

चित्र

कविता 34 ज़िन्दगी एक एहसास है

जिंदगी एक अहसास है ' अभिलाषाओ का पापा  कही कम कही ज्यादा प्यासों का  वो मगर क्या सोचता है समझ नहीं आता परिंदों और हवाओ को कैद करने...