रिश्ते भी क्या चीज़ है पापा
कहना करना ,करना कहना
सुनना सुनाना,सुनाना सुनना,
रिश्ते भी हैं अजीब चीज़
कभी निभना ,कभी निभाना
रिश्ते क्या चीज़ है पापा
हँसना हँसाना, हँसते हँसते पेट दुखाना
रोना रुलाना,रुलाकर खुद रोना
रूठना मनाना,मनाकर खुद रूठना
फिर भी घुलमिल एक हो जाना
रिश्ते भी क्या चीज़ है पापा
जोड़ बेजोड़ बन जाता है गर
चाँद तारे भी लाता है जिगर
कहावतें बनती है तब जमी पर
मेरा चाँद मुझे आया है नज़र
रिश्ते भी क्या चीज़ है पापा
दोस्त बनकर आना, जान बन जाना
सुख दुख जीवन भर बटबाना
कड़वे मीठे घूट जीवन पथ पर पाना
गाथा जीवन की गठरी बन उठवाना
रिश्ते भी क्या चीज़ है पापा
माँ बाप के कंधो पर बैठना
माँ बाप को कंधो पर ले जाना
भाई बहन बनकर खिलखिलाना
बहन भाई का जुदा हो जाना
रिश्ते भी क्या चीज़ है पापा
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Very nice brother
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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