Thursday, October 18, 2018

कविता 47 दशहरा स्पेशल

जो दस चेहरों को एक बनायेगे
                वो ही दशहरा मनाएंगे
जो कर्तव्य मार्ग पर बढ़ते जायेगे,
रात दिन तो पहिया है समय का,
जिंदगी की उलझनो को जो सुलझाएंगे
            वो ही दशहरा मनाएंगे

इर्ष्या ,देष ,घमंड से जो दूर हो जायेगे
प्रेम ,रीति,नीति ,सदाचार ही है सच्चा ज्ञान
करना है उपकार सभी पे ये ले तू ठान
जो इन बातो को समझ जायेगे
                  वो ही दशहरा मनाएंगे
जीवन है तो यू ही हँसते हँसते है जीना
नव उदय हुआ है नव चिंतन का महीना
मानवता इंसानियत के गुण जिनमे आएंगे
 जो दशरथ पुत्र राम की परम्परा निभाएंगे
                  वो ही दशहरा मनाएंगे
                  दीपेश कुमार जैन
               

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