जो दस चेहरों को एक बनायेगे
वो ही दशहरा मनाएंगे
जो कर्तव्य मार्ग पर बढ़ते जायेगे,
रात दिन तो पहिया है समय का,
जिंदगी की उलझनो को जो सुलझाएंगे
वो ही दशहरा मनाएंगे
इर्ष्या ,देष ,घमंड से जो दूर हो जायेगे
प्रेम ,रीति,नीति ,सदाचार ही है सच्चा ज्ञान
करना है उपकार सभी पे ये ले तू ठान
जो इन बातो को समझ जायेगे
वो ही दशहरा मनाएंगे
जीवन है तो यू ही हँसते हँसते है जीना
नव उदय हुआ है नव चिंतन का महीना
मानवता इंसानियत के गुण जिनमे आएंगे
जो दशरथ पुत्र राम की परम्परा निभाएंगे
वो ही दशहरा मनाएंगे
दीपेश कुमार जैन
वो ही दशहरा मनाएंगे
जो कर्तव्य मार्ग पर बढ़ते जायेगे,
रात दिन तो पहिया है समय का,
जिंदगी की उलझनो को जो सुलझाएंगे
वो ही दशहरा मनाएंगे
इर्ष्या ,देष ,घमंड से जो दूर हो जायेगे
प्रेम ,रीति,नीति ,सदाचार ही है सच्चा ज्ञान
करना है उपकार सभी पे ये ले तू ठान
जो इन बातो को समझ जायेगे
वो ही दशहरा मनाएंगे
जीवन है तो यू ही हँसते हँसते है जीना
नव उदय हुआ है नव चिंतन का महीना
मानवता इंसानियत के गुण जिनमे आएंगे
जो दशरथ पुत्र राम की परम्परा निभाएंगे
वो ही दशहरा मनाएंगे
दीपेश कुमार जैन
Badhiya hai sir ji
ReplyDeleteThanks
DeleteNice
ReplyDeleteबहुत सुंदर सर
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