रज़िया सज्जाद ज़हीर कहानी नमक Razia Sajjad Zaheer kahani Namak class 12
रज़िया सज्जाद ज़हीर/नमक/ 1
आज हम अध्ययनचर्चा में ले रहे हैं, रज़िया सज्जाद ज़हीर की कहानी ‘नमक’
इसके पहले हम विष्णु खरे का आलेख ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ की अध्ययन चर्चा कर चुके हैं।
कहानी ‘नमक’ का सारांश
सफिया एक दिन कीर्तन में गयी तो वहां पर उसने एक सिख बीबी को देखा। उन सिख बीबी को देखकर साफिया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। जब साफिया ने कई बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी उसके बारे में घर की बहू से पूछा। उन्हें बताया गया कि ये मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहौर जा रही हैं।
लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर साफिया के पास आ बैठीं और उसे बताने लगीं कि उनका लाहौर कितना प्यारा शहर है। बाद में कहा कि वहां से ‘‘अगर ला सको तो थोड़ा सा लाहौरी नमक लाना।’’
इस तरह हम देखते हैं कि यह भारत और पाकिस्तान के विभाजन की अत्यंत मार्मिक कहानी है। इसमें सरहद के इस पार और उस पार के लोगों के दर्द और भावनाओं का इज़हार हुआ है। पाकिस्तान से विस्थापित होकर आने वाली सिक्ख बीबी आज भी लाहौर को ही अपना वतन मानती है। वह उपहार के रूप में वहां के नमक की फ़रमाईश करती है।
पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी, गै़रकानूनी होते हुए भी, नमक ले जाने की इज़ाजत देते समय देहली को अपना वतन बताता है।
इसी प्रकार भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दासगुप्त कहता है कि ‘‘मेरा वतन ढाका है। राष्ट्र-राज्यों की नयी सीमा रेखाएं खींची जा चुकी हैं और मजहबी आधार पर लोग इन रेखाओं के इधर-उधर अपनी अपनी जगहें मुकर्रर कर चुके हैं, इसके बावजूद ज़मीन पर खींची गयी रेखाएं अंतर्मन तक नहीं पहुंच पायीं हैं।’’
लाहौर के कस्टम अधिकारी का यह कथन भी गौरतलब है कि ‘‘उनको यह नमक देते वक़्त मेरी तरफ से कहियेगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ़्ता-रफ़्ता ठीक हो जायेगा।’’
इस तरह यह कहानी भौगोलिक रूप से दो भागों में बंट गये देश के लागों की भावनात्मक एकता की मार्मिक कहानी है। तो यह था ‘नमक’ कहानी का सारांश।
और अब इस कहानी से लिये गये गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर।
गद्यांश
इसके पहले हम विष्णु खरे का आलेख ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ की अध्ययन चर्चा कर चुके हैं।
कहानी ‘नमक’ का सारांश
सफिया एक दिन कीर्तन में गयी तो वहां पर उसने एक सिख बीबी को देखा। उन सिख बीबी को देखकर साफिया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। जब साफिया ने कई बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी उसके बारे में घर की बहू से पूछा। उन्हें बताया गया कि ये मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहौर जा रही हैं।
लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर साफिया के पास आ बैठीं और उसे बताने लगीं कि उनका लाहौर कितना प्यारा शहर है। बाद में कहा कि वहां से ‘‘अगर ला सको तो थोड़ा सा लाहौरी नमक लाना।’’
इस तरह हम देखते हैं कि यह भारत और पाकिस्तान के विभाजन की अत्यंत मार्मिक कहानी है। इसमें सरहद के इस पार और उस पार के लोगों के दर्द और भावनाओं का इज़हार हुआ है। पाकिस्तान से विस्थापित होकर आने वाली सिक्ख बीबी आज भी लाहौर को ही अपना वतन मानती है। वह उपहार के रूप में वहां के नमक की फ़रमाईश करती है।
पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी, गै़रकानूनी होते हुए भी, नमक ले जाने की इज़ाजत देते समय देहली को अपना वतन बताता है।
इसी प्रकार भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दासगुप्त कहता है कि ‘‘मेरा वतन ढाका है। राष्ट्र-राज्यों की नयी सीमा रेखाएं खींची जा चुकी हैं और मजहबी आधार पर लोग इन रेखाओं के इधर-उधर अपनी अपनी जगहें मुकर्रर कर चुके हैं, इसके बावजूद ज़मीन पर खींची गयी रेखाएं अंतर्मन तक नहीं पहुंच पायीं हैं।’’
लाहौर के कस्टम अधिकारी का यह कथन भी गौरतलब है कि ‘‘उनको यह नमक देते वक़्त मेरी तरफ से कहियेगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ़्ता-रफ़्ता ठीक हो जायेगा।’’
इस तरह यह कहानी भौगोलिक रूप से दो भागों में बंट गये देश के लागों की भावनात्मक एकता की मार्मिक कहानी है। तो यह था ‘नमक’ कहानी का सारांश।
और अब इस कहानी से लिये गये गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर।
गद्यांश
जब डिवीजन हुआ तभी आये, मगर हमारा वतन ढाका है, मैं तो कोई बारह-तेरह साल का था। पर नजरूल और टैगोर साहब को तो हम लोग बचपन से पढ़ते थे। जिस दिन हम रात में यहां आ रहे थे, उसके ठीक एक वर्ष पहले मेरे सबसे पुराने, सबसे प्यारे बचपन के दोस्त ने मुझे यह किताब दी थी। उस दिन मेरी सालगिरह थी-फिर हम कलकत्ता रहे, पढ़े, नौकरी भी मिल गयी, पर हम वतन आते-जाते थे।
प्रश्न : 1 : यह कथन किसने किससे कहा है?
उत्तर : यह कथन सुनील दासगुप्त नाम के कस्टम अफसर ने सफिया से कहा हैं।
प्रश्न : 2 : डिवीजन शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर : डिवीजन शब्द का अर्थ है, विभाजन। यहां वह भारत-पाक विभाजन के बारे में प्रयुक्त हुआ है।
प्रश्न : 3 : नजरूल और टैगोर किनके नाम हैं?
उत्तर : नजरुलइसलाम और रवींद्रनाथ टैगोर बंगला भाषा के दो महान् कवियों के नाम हैं। पर अब एक बांग्लादेश के और दूसरे भारत के कवि कहे जाते हैं। विभाजन से पहले वे एक ही देश के थे।
प्रश्न : 4 : सुनील दासगुप्त का वतन कौन सा था?
उत्तर : सुनील दासगुप्त का वतन ढाका था।
प्रश्न : 1 : यह कथन किसने किससे कहा है?
उत्तर : यह कथन सुनील दासगुप्त नाम के कस्टम अफसर ने सफिया से कहा हैं।
प्रश्न : 2 : डिवीजन शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर : डिवीजन शब्द का अर्थ है, विभाजन। यहां वह भारत-पाक विभाजन के बारे में प्रयुक्त हुआ है।
प्रश्न : 3 : नजरूल और टैगोर किनके नाम हैं?
उत्तर : नजरुलइसलाम और रवींद्रनाथ टैगोर बंगला भाषा के दो महान् कवियों के नाम हैं। पर अब एक बांग्लादेश के और दूसरे भारत के कवि कहे जाते हैं। विभाजन से पहले वे एक ही देश के थे।
प्रश्न : 4 : सुनील दासगुप्त का वतन कौन सा था?
उत्तर : सुनील दासगुप्त का वतन ढाका था।
तो यह था रज़िया सज्जाद ज़हीर की कहानी ‘नमक’ पर आधारित गद्यांश के प्रश्नोत्तरों वाला हिस्सा।
प्रश्न : 1 : सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?
उत्तरः- सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से जिन कारणों से मना कर दिया था, वे इस प्रकार हैं –
1. पाकिस्तान से नमक ले जाना गै़रकानूनी है।
2. उसके अनुसार भारत के हिस्से में पहले ही बहुत सारा नमक आया हुआ है।
3. कस्टम अधिकारी पकड़ सकते हैं।
4. इससे हमारी भी बदनामी होगी।
प्रश्न : 2 : नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में क्या द्वंद्व था?
उत्तर : नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में यह द्वंद्व था, कि प्यार के तोहफे के तौर पर ले जायी जाने वाली नमक की उस पुड़िया को चोरी-छिपे ले जाए या फिर कस्टम अधिकारियों को जानकारी देकर।
प्रश्न : 3 : जब सफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?
उत्तर : जब सफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी, तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप इसलिये खड़े थे, क्योंकि वे वतन के प्रति सफिया का ऐसा प्रेम देखकर भावुक हो गये थे।
कानून तो उन्होंने ग़लत सहयोग किया था, परंतु इंसानियत के पक्ष में बड़ा काम किया था। इंसानियत कानूनों से बड़ी होती है। खुद वे भी अपने वतन की यादों में खोये हुए थे और मनुष्यता की व्यापक तथा उदार भावनाओं से आकंठ भरे हुए थे।
प्रश्न : 4 : ‘लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं।
उत्तर : ‘लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार मनुष्यता के इस सत्य को तथा इस सामाजिक यथार्थ की ओर संकेत करते हैं कि देश की सीमाएँ मनों को विभाजित नहीं कर सकतीं। राजनैतिक तौर पर भले ही हम विस्थापित हो जातें हैं परंतु भावनात्मक लगाव तो अपनी मातृभूमि से आजीवन बना रहता है।
प्रश्न : 5 : नमक ले जाने के बारे में सफ़िया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट
कीजिए।
उत्तरः- सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से जिन कारणों से मना कर दिया था, वे इस प्रकार हैं –
1. पाकिस्तान से नमक ले जाना गै़रकानूनी है।
2. उसके अनुसार भारत के हिस्से में पहले ही बहुत सारा नमक आया हुआ है।
3. कस्टम अधिकारी पकड़ सकते हैं।
4. इससे हमारी भी बदनामी होगी।
प्रश्न : 2 : नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में क्या द्वंद्व था?
उत्तर : नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में यह द्वंद्व था, कि प्यार के तोहफे के तौर पर ले जायी जाने वाली नमक की उस पुड़िया को चोरी-छिपे ले जाए या फिर कस्टम अधिकारियों को जानकारी देकर।
प्रश्न : 3 : जब सफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?
उत्तर : जब सफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी, तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप इसलिये खड़े थे, क्योंकि वे वतन के प्रति सफिया का ऐसा प्रेम देखकर भावुक हो गये थे।
कानून तो उन्होंने ग़लत सहयोग किया था, परंतु इंसानियत के पक्ष में बड़ा काम किया था। इंसानियत कानूनों से बड़ी होती है। खुद वे भी अपने वतन की यादों में खोये हुए थे और मनुष्यता की व्यापक तथा उदार भावनाओं से आकंठ भरे हुए थे।
प्रश्न : 4 : ‘लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं।
उत्तर : ‘लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार मनुष्यता के इस सत्य को तथा इस सामाजिक यथार्थ की ओर संकेत करते हैं कि देश की सीमाएँ मनों को विभाजित नहीं कर सकतीं। राजनैतिक तौर पर भले ही हम विस्थापित हो जातें हैं परंतु भावनात्मक लगाव तो अपनी मातृभूमि से आजीवन बना रहता है।
प्रश्न : 5 : नमक ले जाने के बारे में सफ़िया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट
कीजिए।
1. भावुक महिला – वह मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि मानने वाली-सफ़िया एक भावनाशील महिला है। वह सिख बीबी की भावनाओं की कद्र करती है, इसलिए वह किसी भी तरह उनके लिए लाहौरी नमक को भारत ले जाना चाहती है।
2. सत्य आचरण युक्त महिला – वह प्रेम की इस भेंट को चोरी से नहीं ले जाना चाहती। वह तय करती है कि कस्टम अधिकारियों को अपनी मानवीय भावनाओं को समझायेगी और उन्हें इंसानियत के कर्तव्यों के प्रति प्रेरित करेगी।
3. जोखम उठाने को तत्पर महिला – पाकिस्तान से नमक को भारत ले जाना गैरकानूनी होने पर भी वह जानती थी कि एक सेर नमक कोई व्यापार करने के लिये चोरी से नहीं ले जाया जा रहा है, उसके पीछे वतन से प्यार करने की महान भावना है। इसके लिये वह जोखम उठाने के लिये भी तत्पर रहती है।
4. इंसानियत पर विश्वास करने वाली महिला : सफिया जब नमक को कस्टम अधिकारियों को बताकर ले जाने का निष्चय करती है, तो परोक्ष रूप से वह इंसानियत की भावना पर ही अपना विश्वास व्यक्त करती है। उसे भरोसा है कि जब वह कस्टम अधिकारी को सत्य से परिचित करायेगी, तो वे उसका सहयोग करेंगे।
5. वादा निभाने वाली महिला- वह अपने वादे या वचन को निभाने में जरा सी भी कोताही नहीं करती।
प्रश्न : 6 : ‘मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है’- उचित तर्कों व उदाहरणों के जरिए इसकी पुष्टि करें।
उत्तर : ‘मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है’, यह कथन एक परम सत्य है। भौगोलिक विभाजन भावनात्मक विभाजन नहीं बन सकता। इसीलिये पाकिस्तानी और भारतीय अधिकारी और सिख बीबी क्रमशः देहली, ढाका और लाहौर को ही आज भी अपना वतन मानते हैं।
वे अपने वतन की सामान्य चीजों से अमिट लगाव रखते हैं। इसी वजह से सिख बीबी ‘नमक’ जैसी साधारण चीज वहाँ से लाने का इसरार करती है।
प्रश्न : 7 : नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे?
उत्तर : भले ही राजनीतिक कारणों से भारत और पाकिस्तान को भौगोलिक रूप से विभाजित कर दिया गया है, लेकिन दोनों देशों के लोगों के हृदय में आज भी पारस्परिक भाईचारा, सौहार्द्र, स्नेह और सहानुभूति विद्यमान है। जो लोग राजनैतिक और स्वार्थी होते हैं, वही दोनों देशों के नागरिकों में बैर होने की बात का प्रचार करते हैं और उसका फायदा उठाते हैं।
2. सत्य आचरण युक्त महिला – वह प्रेम की इस भेंट को चोरी से नहीं ले जाना चाहती। वह तय करती है कि कस्टम अधिकारियों को अपनी मानवीय भावनाओं को समझायेगी और उन्हें इंसानियत के कर्तव्यों के प्रति प्रेरित करेगी।
3. जोखम उठाने को तत्पर महिला – पाकिस्तान से नमक को भारत ले जाना गैरकानूनी होने पर भी वह जानती थी कि एक सेर नमक कोई व्यापार करने के लिये चोरी से नहीं ले जाया जा रहा है, उसके पीछे वतन से प्यार करने की महान भावना है। इसके लिये वह जोखम उठाने के लिये भी तत्पर रहती है।
4. इंसानियत पर विश्वास करने वाली महिला : सफिया जब नमक को कस्टम अधिकारियों को बताकर ले जाने का निष्चय करती है, तो परोक्ष रूप से वह इंसानियत की भावना पर ही अपना विश्वास व्यक्त करती है। उसे भरोसा है कि जब वह कस्टम अधिकारी को सत्य से परिचित करायेगी, तो वे उसका सहयोग करेंगे।
5. वादा निभाने वाली महिला- वह अपने वादे या वचन को निभाने में जरा सी भी कोताही नहीं करती।
प्रश्न : 6 : ‘मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है’- उचित तर्कों व उदाहरणों के जरिए इसकी पुष्टि करें।
उत्तर : ‘मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है’, यह कथन एक परम सत्य है। भौगोलिक विभाजन भावनात्मक विभाजन नहीं बन सकता। इसीलिये पाकिस्तानी और भारतीय अधिकारी और सिख बीबी क्रमशः देहली, ढाका और लाहौर को ही आज भी अपना वतन मानते हैं।
वे अपने वतन की सामान्य चीजों से अमिट लगाव रखते हैं। इसी वजह से सिख बीबी ‘नमक’ जैसी साधारण चीज वहाँ से लाने का इसरार करती है।
प्रश्न : 7 : नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे?
उत्तर : भले ही राजनीतिक कारणों से भारत और पाकिस्तान को भौगोलिक रूप से विभाजित कर दिया गया है, लेकिन दोनों देशों के लोगों के हृदय में आज भी पारस्परिक भाईचारा, सौहार्द्र, स्नेह और सहानुभूति विद्यमान है। जो लोग राजनैतिक और स्वार्थी होते हैं, वही दोनों देशों के नागरिकों में बैर होने की बात का प्रचार करते हैं और उसका फायदा उठाते हैं।
पर यह कहानी उस सत्य का उद्घाटन करती है, और जो वास्तविकता का चेहरा भी दिखाती है तथा प्रेम की भावना को भी सामने लाती है। इसी प्रेम के कारण अमृतसर में रहने वाली सिख बीबी लाहौर को अपना वतन कहती है और लाहौरी नमक का स्वाद नहीं भुला पाती।
पाकिस्तान का कस्टम अधिकारी नमक की पुड़िया सफ़िया को वापस देते हुए कहता है “जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहना।”
भारतीय सीमा पर तैनात कस्टम अधिकारी ढाका की ज़मीन को और वहाँ के पानी के स्वाद को नहीं भूल पाता। लिहाजा यही कहा जायेगा कि राजनीतिक तौर पर भले ही बंटवारा हो गया हो, पर सामाजिक तौर पर दोनों देशों की जनता के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है।
प्रश्न : 8 : क्यों कहा गया?
1. ‘क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?’
उत्तर : ऐसा इसलिये कहा गया है, क्योंकि कानून मनुष्य द्वारा निर्मित होते हैं और उन्हें आदमी की सुविधा के लिये ही बनाया जाता है, न कि असुविधा के लिये। पर मुहब्बत और इंसानियत के कानून हजारों सालों की सभ्यता और हृदय से निर्मित होते हैं। उनकी जगह आम कानूनों से कहीं ऊंची होती है।
2. भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी।
उत्तर : ऐसा इसलिये कहा गया है, क्योंकि भावनाओं में अभिभूत होने के कारण सफ़िया अपने भाई से तर्क-वितर्क कर रही थी, परंतु जब सफ़िया का भावनात्मक गुस्सा उतर गया, तब वह नमक ले जाने के विषय में विवेकपूर्ण तरीके से सोचने लगी।
3. मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।
उत्तर : ऐसा इसलिये कहा गया है, क्योंकि प्रेम तो हृदयों में होता है, और उसे कोई मशीन नहीं पकड़ पाती। उस पर कोई कानूनी बंधन नहीं चलता।
4. हमारी ज़मीन हमारे पानी का मजा ही कुछ और है!
उत्तर : ऐसा इसलिये कहा गया है, क्योंकि भारतीय कस्टम अधिकारी भी अपने वतन और वतन की चीजों से उतनी ही मुहब्बत करता है, जितनी की कोई और।
प्रश्न : 9 : समझाइए तो जरा
पाकिस्तान का कस्टम अधिकारी नमक की पुड़िया सफ़िया को वापस देते हुए कहता है “जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहना।”
भारतीय सीमा पर तैनात कस्टम अधिकारी ढाका की ज़मीन को और वहाँ के पानी के स्वाद को नहीं भूल पाता। लिहाजा यही कहा जायेगा कि राजनीतिक तौर पर भले ही बंटवारा हो गया हो, पर सामाजिक तौर पर दोनों देशों की जनता के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है।
प्रश्न : 8 : क्यों कहा गया?
1. ‘क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?’
उत्तर : ऐसा इसलिये कहा गया है, क्योंकि कानून मनुष्य द्वारा निर्मित होते हैं और उन्हें आदमी की सुविधा के लिये ही बनाया जाता है, न कि असुविधा के लिये। पर मुहब्बत और इंसानियत के कानून हजारों सालों की सभ्यता और हृदय से निर्मित होते हैं। उनकी जगह आम कानूनों से कहीं ऊंची होती है।
2. भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी।
उत्तर : ऐसा इसलिये कहा गया है, क्योंकि भावनाओं में अभिभूत होने के कारण सफ़िया अपने भाई से तर्क-वितर्क कर रही थी, परंतु जब सफ़िया का भावनात्मक गुस्सा उतर गया, तब वह नमक ले जाने के विषय में विवेकपूर्ण तरीके से सोचने लगी।
3. मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।
उत्तर : ऐसा इसलिये कहा गया है, क्योंकि प्रेम तो हृदयों में होता है, और उसे कोई मशीन नहीं पकड़ पाती। उस पर कोई कानूनी बंधन नहीं चलता।
4. हमारी ज़मीन हमारे पानी का मजा ही कुछ और है!
उत्तर : ऐसा इसलिये कहा गया है, क्योंकि भारतीय कस्टम अधिकारी भी अपने वतन और वतन की चीजों से उतनी ही मुहब्बत करता है, जितनी की कोई और।
प्रश्न : 9 : समझाइए तो जरा
1. फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं।
उत्तर : कहानीकार का यह कथन सिख बीबी के बारे में है। लाहौर की याद में सिख बीबी इतनी भावुक हो जाती हैं कि उनकी आँखों से आँसू निकलकर उनके सफ़ेद मलमल के दुपट्टे पर टपकने लगते हैं। यहां उपमाओं की मदद से कहानी में सौंदर्य उत्पन्न किया गया है।
2. किसका वतन कहाँ है- वह जो कस्टम के इस तरफ़ है या उस तरफ़।
उत्तर : भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद कुछ लोगों की स्थिति ऐसी हो गयी है कि वे भारत में पैदा हुए पर वतन कहलाया पाकिस्तान। जो पाकिस्तान में पैदा हुए उनका वतन हो गया भारत। तो असली वतन किसे कहा जाये, जो कस्टम के इस तरफ है उसे या जो कस्टम के उस तरफ है, उसे?
यही कहानी का सवाल है, जो हमसे किया गया है। भारत-पाकिस्तान के राजनीतिक आकाओं से किया गया है। इंसानियत से किया गया है। ऽ पाठ के आसपास
प्रश्न : 1 : ‘नमक’ कहानी में हिन्दुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान संदर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : ‘नमक’ कहानी में हिन्दुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। आज के संदर्भ में स्थिति में काफी परिवर्तन हो चुका है विभाजन के समय वाली पीढ़ी अब समाप्त हो चुकी है। उसका स्थान उस पीढ़ी ने ले लिया है, जिसका जन्म इसी देश में हुआ है। उनके पास विभाजन की कड़वी यादें न के बराबर हैं।
दोनों देषों की जनता आपस में मधुर संबंध रखना चाहती है। पर राजनीतिक लोग अपने स्वार्थ के लिये दोनों देषों के
बीच में तनाव बढ़ाते रहते हैं। आपसी संबंधों में मधुरता लाने के प्रयास किए जाने चाहिए। विश्व बंधुत्व वाली संस्कृति का यही उद्देश्य है।
प्रश्न : 2 : सफ़िया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप सफ़िया की जगह होते/होतीं तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः- उस विशिष्अ संदर्भ में सफ़िया और मेरी मनःस्थिति में कोई अंतर नहीं होता। मैं भी उपकी तरह ही सीधे और सच्चे तरीके से अपनी भावनाएँ व्यक्त कर देता और सफ़िया की तरह ही मैं भी लाहौरी नमक लाने का पूरा प्रयास करता।
उत्तर : कहानीकार का यह कथन सिख बीबी के बारे में है। लाहौर की याद में सिख बीबी इतनी भावुक हो जाती हैं कि उनकी आँखों से आँसू निकलकर उनके सफ़ेद मलमल के दुपट्टे पर टपकने लगते हैं। यहां उपमाओं की मदद से कहानी में सौंदर्य उत्पन्न किया गया है।
2. किसका वतन कहाँ है- वह जो कस्टम के इस तरफ़ है या उस तरफ़।
उत्तर : भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद कुछ लोगों की स्थिति ऐसी हो गयी है कि वे भारत में पैदा हुए पर वतन कहलाया पाकिस्तान। जो पाकिस्तान में पैदा हुए उनका वतन हो गया भारत। तो असली वतन किसे कहा जाये, जो कस्टम के इस तरफ है उसे या जो कस्टम के उस तरफ है, उसे?
यही कहानी का सवाल है, जो हमसे किया गया है। भारत-पाकिस्तान के राजनीतिक आकाओं से किया गया है। इंसानियत से किया गया है। ऽ पाठ के आसपास
प्रश्न : 1 : ‘नमक’ कहानी में हिन्दुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान संदर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : ‘नमक’ कहानी में हिन्दुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। आज के संदर्भ में स्थिति में काफी परिवर्तन हो चुका है विभाजन के समय वाली पीढ़ी अब समाप्त हो चुकी है। उसका स्थान उस पीढ़ी ने ले लिया है, जिसका जन्म इसी देश में हुआ है। उनके पास विभाजन की कड़वी यादें न के बराबर हैं।
दोनों देषों की जनता आपस में मधुर संबंध रखना चाहती है। पर राजनीतिक लोग अपने स्वार्थ के लिये दोनों देषों के
बीच में तनाव बढ़ाते रहते हैं। आपसी संबंधों में मधुरता लाने के प्रयास किए जाने चाहिए। विश्व बंधुत्व वाली संस्कृति का यही उद्देश्य है।
प्रश्न : 2 : सफ़िया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप सफ़िया की जगह होते/होतीं तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः- उस विशिष्अ संदर्भ में सफ़िया और मेरी मनःस्थिति में कोई अंतर नहीं होता। मैं भी उपकी तरह ही सीधे और सच्चे तरीके से अपनी भावनाएँ व्यक्त कर देता और सफ़िया की तरह ही मैं भी लाहौरी नमक लाने का पूरा प्रयास करता।
प्रश्न : 3 : भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर आप इसमें क्या योगदान दे सकते/सकती हैं?
उत्तर : भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए व्यक्तिगत तौर पर मैं इस तरह के प्रयास करना चाहूंगा –
1. दोनों देशों के ऐसे लोगों का एक मैत्री संगठन बनाउंगा, जो संबंध सुधारने के इच्छुक हैं।
2. दोनों देशों के कलाकारों, लेखकों, विचारकों, खिलाड़ियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आना-जाना शुरु हो
सके, ऐसे प्रयास करूंगा।
3. दोनों देशों के समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, किताबों, फिल्मों का आदान-प्रदान सहज बनाने में योगदान करूंगा।
4. सूचना क्रांति के इस युग में इंटरनेट का प्रयोग कर पाकिस्तान में अपने दोस्तों का दायरा बढ़ाने का प्रयास करूँगा।
प््राश्न : 4 : लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए सफ़िया व सिख बीबी के माध्यम से यह भी परोक्ष रूप से संकेत किया है कि इसमें भी विवाह की रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक विस्थापित है। क्या आप इससे सहमत हैं?
उत्तर : हां, हम सहमत हैं। विवाह के कारण स्त्रियों को वैसे ही पहले तो अपने माता-पिता के घर से विस्थापित होना पड़ता है। फिर अगर देश विभाजन की स्थिति आये तो उन्हें अपने पति के साथ दोबारा विस्थापित होना पड़ता है।
प्रश्न : 5 : विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं- रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से कौन सबसे ताकतवर है और क्यों?
उत्तर : विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं- रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से सबसे ताकतवर भूमि है साहित्य व कला। साहित्यकार और कलाकार देश, धर्म, जाति, भाषा आदि के दायरे से ऊपर उठकर पूरी मानवता के बारे में सोचते हैं। कला और साहित्य भेद के दायरों को तोड़कर एक नया विश्व रचते हैं।
ऽ आपकी राय
प््राश्न : 1 : मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे/रही हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौन-सी चीज़ ले जाना पसंद करेंगे/करेंगी और क्यों?
उत्तर : भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए व्यक्तिगत तौर पर मैं इस तरह के प्रयास करना चाहूंगा –
1. दोनों देशों के ऐसे लोगों का एक मैत्री संगठन बनाउंगा, जो संबंध सुधारने के इच्छुक हैं।
2. दोनों देशों के कलाकारों, लेखकों, विचारकों, खिलाड़ियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आना-जाना शुरु हो
सके, ऐसे प्रयास करूंगा।
3. दोनों देशों के समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, किताबों, फिल्मों का आदान-प्रदान सहज बनाने में योगदान करूंगा।
4. सूचना क्रांति के इस युग में इंटरनेट का प्रयोग कर पाकिस्तान में अपने दोस्तों का दायरा बढ़ाने का प्रयास करूँगा।
प््राश्न : 4 : लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए सफ़िया व सिख बीबी के माध्यम से यह भी परोक्ष रूप से संकेत किया है कि इसमें भी विवाह की रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक विस्थापित है। क्या आप इससे सहमत हैं?
उत्तर : हां, हम सहमत हैं। विवाह के कारण स्त्रियों को वैसे ही पहले तो अपने माता-पिता के घर से विस्थापित होना पड़ता है। फिर अगर देश विभाजन की स्थिति आये तो उन्हें अपने पति के साथ दोबारा विस्थापित होना पड़ता है।
प्रश्न : 5 : विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं- रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से कौन सबसे ताकतवर है और क्यों?
उत्तर : विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं- रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से सबसे ताकतवर भूमि है साहित्य व कला। साहित्यकार और कलाकार देश, धर्म, जाति, भाषा आदि के दायरे से ऊपर उठकर पूरी मानवता के बारे में सोचते हैं। कला और साहित्य भेद के दायरों को तोड़कर एक नया विश्व रचते हैं।
ऽ आपकी राय
प््राश्न : 1 : मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे/रही हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौन-सी चीज़ ले जाना पसंद करेंगे/करेंगी और क्यों?
उत्तर : सौगात के तौर पर मैं अपने मित्र के लिए यहाँ की कुछ प्रसिद्ध किताबें, कलाकृतियां, फोटोग्राफ्स, हस्तशिल्प की वस्तुएं आदि ले जाना पसंद करूँगा। इन के जरिए भारत की महान् संस्कृति से उसे परिचित करवाना चाहूँगा। ऽ भाषा की बात
प््राश्न : 1. नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए-
(क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।
(ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं?
सामान्यतः ‘ही‘ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही‘ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही‘ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।
वाक्य :
1. मुझे तो कहानी ही पढ़नी है।
2. मुझे मैच देखने ही जाना है
3. घर तो आपका ही अच्छा है।
4. उसका बगीचा बेकार सा ही है।
5.किताब तो आपकी ही है।
दूसरी तरह के वाक्य
1. क्या सब सुझाव आपके ही चलेंगे?
2. क्या सारा धन आज ही दे देंगे?
3.क्या आप मुझे घर से निकाल ही देंगे?
4. क्या सिनेमा मात्र लड़के ही देखते हैं?
5. क्या वे सिर्फ़ पारिवारिक विषयों पर ही लिखते हैं?
प््राश्न : 2 : नीचे दिए गए शब्दों के हिन्दी रूप लिखिए –
प््राश्न : 1. नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए-
(क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।
(ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं?
सामान्यतः ‘ही‘ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही‘ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही‘ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।
वाक्य :
1. मुझे तो कहानी ही पढ़नी है।
2. मुझे मैच देखने ही जाना है
3. घर तो आपका ही अच्छा है।
4. उसका बगीचा बेकार सा ही है।
5.किताब तो आपकी ही है।
दूसरी तरह के वाक्य
1. क्या सब सुझाव आपके ही चलेंगे?
2. क्या सारा धन आज ही दे देंगे?
3.क्या आप मुझे घर से निकाल ही देंगे?
4. क्या सिनेमा मात्र लड़के ही देखते हैं?
5. क्या वे सिर्फ़ पारिवारिक विषयों पर ही लिखते हैं?
प््राश्न : 2 : नीचे दिए गए शब्दों के हिन्दी रूप लिखिए –
मुरौवत, आदमियत, अदीब, साडा, मायने, सरहद, अक्स, लबोलहजा, नफीस
शब्द हिन्दी रूप
मुरौवत संकोच
आदमियत इंसानियत
अदीब साहित्यकार
साडा हमारा
मायने अर्थ
सरहद सीमा
अक्स आकार
लबोलहजा बोलने का ढंग
नफीस सुरुचिपूर्ण
प्रश्न : 3 : पंद्रह दिन यों गुज़रे कि पता ही नहीं चला-वाक्य को ध्यान से पढ़िए और इसी प्रकार के (यों, कि, ही से युक्त पाँच वाक्य बनाइए।)
उत्तर : 1. घूमने के लिये ही घर से निकले ही थे कि पानी बरसने जगा।
2. सोया ही था, कि घंटी बनजे लगी।
3. साल ऐसे ही निकल गया कि पता ही न चला।
4. मालिक ने यों ही कह दिया कि वेतन बढ़ा देंगे।
5. बचपन यूं ही बीत गया कि पता ही न चला।
तो यह था रज़िया सज्जाद ज़हीर की कहानी ‘नमक’ के प्रश्नोत्तरों वाला हिस्सा।
अगली बार हम रज़िया सज्जाद ज़हीर का जीवन वरिचय जानेंगे।
शब्द हिन्दी रूप
मुरौवत संकोच
आदमियत इंसानियत
अदीब साहित्यकार
साडा हमारा
मायने अर्थ
सरहद सीमा
अक्स आकार
लबोलहजा बोलने का ढंग
नफीस सुरुचिपूर्ण
प्रश्न : 3 : पंद्रह दिन यों गुज़रे कि पता ही नहीं चला-वाक्य को ध्यान से पढ़िए और इसी प्रकार के (यों, कि, ही से युक्त पाँच वाक्य बनाइए।)
उत्तर : 1. घूमने के लिये ही घर से निकले ही थे कि पानी बरसने जगा।
2. सोया ही था, कि घंटी बनजे लगी।
3. साल ऐसे ही निकल गया कि पता ही न चला।
4. मालिक ने यों ही कह दिया कि वेतन बढ़ा देंगे।
5. बचपन यूं ही बीत गया कि पता ही न चला।
तो यह था रज़िया सज्जाद ज़हीर की कहानी ‘नमक’ के प्रश्नोत्तरों वाला हिस्सा।
अगली बार हम रज़िया सज्जाद ज़हीर का जीवन वरिचय जानेंगे।

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