कोरोना भी क्या चीज है पापा
हर गली पसरा खोफ का कांटा
जिधर देखो हो गया सन्नाटा
एक अनदेखा शत्रु देता है झाँसा
बंद हो गया सारे जग का सैर सपाटा
कोरोना भी क्या चीज है पापा
मंदिर मस्जिद ने कर लिए द्वार बंद
मनुष्य अब जाए कहा कहने द्वंद
देश -विदेश सब एक समान हुए
करुण आंखों में बचे आंसू भी चंद
कोरोना भी क्या चीज है पापा
भय,दहशत से कोई नही रहा अछूता
घर, बाहर,द्वार सब डर डर के छूता
देश दुनिया सब हुए जा रहे त्राह त्राह
मानवता खोज रही फिर कोई गीता
कोरोना भी क्या चीज है पापा
संकट में दिखावटी हास्यविनोद होता
फिर देखकर जखीरा लाशो का रोता
सब ज्ञान, मान ,सम्मान धूमिल हुए
हर दिन सोचकर बचे रहे रोज जीता
दीपेश कुमार जैन
जवाहर नवोदय विद्यालय
वारासिवनी
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