एक बात .....
कुछ प्रान्तों में भाषा पर बहस होती है ये होनी चाहये
..वो होनी चाहये........ओके लेकिन हिंदी भाषा के लिए कोशिश करे.....
आच्छा है देश की पहचान है परन्तु इस पर इतना कठोर होने की जरुरत
नहीं है..
अन्ततः भाषा का मुख्य कम बात होना चाहये ,समझ आना चाहये.
क्या फर्क पढता आप कोन सी भाषा बोलकर सही संचार करते हो
.सिर्फ जरुरी ये है की आप आपनी बात जो कहना चाहते है exactly
वहाँ तक पहुचे, समझ आये ,जहा तक आप जाना चाहते हो ।
देखो लोग अपनी भाषा में प्यार से नहीं रहते,लड़ते झगते है क्यों?
वह तो आपकी अपनी मीठी भाषा है कम से कम उसमे तो नहीं झग़ड़ना चाहये but ऐसा नहीं है.........
अब ये झंझट छोड़ो कोई भी बोलो खुस रहो........
deeपेश जैंन
स्वरचित कविताओं/विचारो/लेखों/ज्ञानवर्धक संग्रह/कहानियां **न त्वहं कामये राज्यं न स्वर्गं नापुनर्भवम् ।* *कामये दुःखतप्तानां प्रणिनां आर्तिनाशनम् ॥*
Saturday, September 15, 2018
कविता13 भारत भाषा विचार
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