ये कैसी दिवाली है पापा
रोशनी की भरमार है
आवाजो की बहार है
स्वच्छता बाते ही बेकार है।
ये कैसी दिवाली है ........
रोशनी की भरमार है
आवाजो की बहार है
स्वच्छता बाते ही बेकार है।
ये कैसी दिवाली है ........
रातो को मयखाने की सजावट
जुओ ताश पत्तो की आहट
चोरो का हुजूम मोको की तलास में
सहमा सहमा आदमी दिखाबा नए लिवास का
ये कैसी दिवाली है ........
रंग रेलिया जिस्म के बाज़ार की
नसीहते संस्कृति के उत्तान की
लोक लुभावने दाम झुटे
बाज़ार मे सजा है दुकान मिलावटी सामान की
ये कैसी दिवाली है ........
वादों के बादशाह ने कहा अच्छे दिन आयगे
न कर नया छल ओ मालिक
तलास नहीं अच्छे दिन की
दे सके तों ए मालिक दुनिया को है जरुरत सच्चे दिन दे
सच्चे दिन कब आयगे पापा
आम आदमी का दिवाला है पापा
ये कैसी दिवाली है ........
जुओ ताश पत्तो की आहट
चोरो का हुजूम मोको की तलास में
सहमा सहमा आदमी दिखाबा नए लिवास का
ये कैसी दिवाली है ........
रंग रेलिया जिस्म के बाज़ार की
नसीहते संस्कृति के उत्तान की
लोक लुभावने दाम झुटे
बाज़ार मे सजा है दुकान मिलावटी सामान की
ये कैसी दिवाली है ........
वादों के बादशाह ने कहा अच्छे दिन आयगे
न कर नया छल ओ मालिक
तलास नहीं अच्छे दिन की
दे सके तों ए मालिक दुनिया को है जरुरत सच्चे दिन दे
सच्चे दिन कब आयगे पापा
आम आदमी का दिवाला है पापा
ये कैसी दिवाली है ........
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