अब और दर्द की गुंजाईस नहीं
पापा
जला कर राख दूगा जहा को
अब प्यार मैं भी कड़वाहट आ गई
पापा
मिटा के नाश कर दुगा जहा को
सज्जनता कमजोरी हो गई जग में
पापा
सम्मान बैमानी आदर्श बकबास
डरने वालो को डराते देखा
रोने वालो को रुलाते देखा
ना खोल ये खुदा इन जजीरो को
अब व्यंग की सरहदों में दर्द अंगड़ाई ले रहा है
पापा
हर कोई एक दुसरो को चुभो रहा
वाह इन्साफ खो गया कहा हा हा हा
तुझे ढूढने की हो रही खता
कर्म भूमि युध्य भूमि न बन
सोचू कब तक
सोचता हु अस्त्रो सस्त्रो का
आराम न छिनु
पापा
पर समय कर रहा मजबूर
माँ माफ़ करना मुझे
संस्कारो के मूल्य कोडी भर हो गए
तेरे नुकसे पुराने हो गए
चाहता था इन्ही के साथ चलना
बुला ले मुझे माँ रोकना है तो ये सैलाब
बता दे फिर से चरित्र की कथा
सुना दे अपनी पत्शाला
पापा
दीपेश कुमार जैन
पापा
जला कर राख दूगा जहा को
अब प्यार मैं भी कड़वाहट आ गई
पापा
मिटा के नाश कर दुगा जहा को
सज्जनता कमजोरी हो गई जग में
पापा
सम्मान बैमानी आदर्श बकबास
डरने वालो को डराते देखा
रोने वालो को रुलाते देखा
ना खोल ये खुदा इन जजीरो को
अब व्यंग की सरहदों में दर्द अंगड़ाई ले रहा है
पापा
हर कोई एक दुसरो को चुभो रहा
वाह इन्साफ खो गया कहा हा हा हा
तुझे ढूढने की हो रही खता
कर्म भूमि युध्य भूमि न बन
सोचू कब तक
सोचता हु अस्त्रो सस्त्रो का
आराम न छिनु
पापा
पर समय कर रहा मजबूर
माँ माफ़ करना मुझे
संस्कारो के मूल्य कोडी भर हो गए
तेरे नुकसे पुराने हो गए
चाहता था इन्ही के साथ चलना
बुला ले मुझे माँ रोकना है तो ये सैलाब
बता दे फिर से चरित्र की कथा
सुना दे अपनी पत्शाला
पापा
दीपेश कुमार जैन
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