Saturday, September 15, 2018

कविता वाह रे इंसान

वाह रे इंसान
हवाओ को गुमान क्यों नहीं होता
जिसके दम से सांसो का संसार जीता
नीर का गुमान कहा है        ;
:कहा है मिटटी  का गुमान
जिसकी जड़ में जीवन पलता
बस  है उस इंसान मैं जो जानता है
मिटटी का पुतला है खुद
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वाह  रे इंसान ..............................

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