Friday, September 14, 2018

कविता 5 शादी के बाद

शादी के बाद  
लड़की  हो जाती परायी
ये कोई नही कहता लड़का भी जुदा हो जाता है अपनों से
लड़की का तो घर बदल गया,इससे अपनों से नही मिल पाती
पर लड़का तो उसी घर मे रहकर भी हो गया दूर
अपनों से
                        शादी के बाद,,
ज़िम्मेदारी के बोझ तले ,दबकर ढहता जाता दिन ब दिन
लोगो के ताने बदल गया पप्पू  ,बेगाना हो गया
कुछ तो ये सम्मान भी देते जोरू का गुलाम हो गया
और न पूछो यारो किन किन के बीच पिस गया दिन ब दिन
                            शादी के बाद,,,,
कभी रिश्तों की उलझन में
कभी ख्वाइशो  के विराम लिए
खोता अपना हर दिन
सुकून के पल कभी बचपन की यादें कर
मन को मसोस कर चूर हो जाता
लड़का है अच्छा अब ये भी नहीं सुन पाता
                             शादी के बाद
जीवन संग्राम में जो नही किया कभी
मन को मार के करता जाता
अपने बच्चा होने का भाव पिता से भी न पाता
माँ बहिन का लाड़ला यु ही कभी कभी खुद को
बेगाना पाता,
                              शादी के बाद
खो गई लडक़े के आजादी
ग़म में होता पर न बताता
अपने को खोकर ,पाता है ठोकर
धीरे धीरे अपनों के लिए
खुद को समझौता की नैया पर डुबोता
एक दिन थककर जीवन से बिन कहे
  सिसक सिसक कर रोता
              शादी के बाद
               दीपेश कुमार जैन

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