दादा दादी पहने खादी
बापू जी की याद दिलाते
मेरा देश मेरी शान
ये भी मुझे सिखलाते
अपने हाथो से दादी मुझे नहलाती इसलिये पापा की मम्मी कहलाती दादा मुझको पीठ चढ़ाते
खुद हार के मुझे जिताते
मेरे मुस्कराने से
हँसते जाते
हँसते जाते
हँसते जाते
जय हिन्द
स्वरचित कविताओं/विचारो/लेखों/ज्ञानवर्धक संग्रह/कहानियां **न त्वहं कामये राज्यं न स्वर्गं नापुनर्भवम् ।* *कामये दुःखतप्तानां प्रणिनां आर्तिनाशनम् ॥*
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कविता 34 ज़िन्दगी एक एहसास है
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